सिद्धि दे, सिद्धि दे, अष्ट नव निधि दे |
जगत में वुध्ही दे वाक्य वाणी हदय में दया ज्ञान दे, चित्त में ध्यान दे मोय को वरदान दे सम्भवराणी |
दु:ख को दूर कर, काल चक्र चूर कर, सुख भरपूर कर,राजराणी |
गुणन की रीत दे, सेन से प्रीत दे जगत में जीत दे, सदा जय भवानी |
१. जोधपुर बीकानेर रेलमार्ग पार मारवाड़ मूण्डवा स्टेशन से ४ कि. मी. दूर भडाणा के कंकण में श्री बड़माताजी महाराज का मंदिर है | २. नागौर अजमेर राज्य मार्ग पार स्थित है | ३. नागौर और अजमेर से बसें जाती ही रहती हैं | ४. श्री माताजी के मंदिर में एक पैसे से ५ रुपये तक की भेंट पुजारी के पास जाती है | इसके आलावा पुजारी को इनाम देना यात्री की इच्छा पर है | ५. एक रुपये से लेकर जितना चाहे यात्री अपनी श्रद्धा अनुसार श्री बड़माताजी महाराज के भेंट भण्डार में डाले या जमाकर रसीद प्राप्त करें | ६. छत्र आदि भेंट करना चाहे, तो मैनेजर के पास जाकर रसीद प्राप्त करें | ७. चेत्र सुद नवमी और आसोन सुद दसमी को नवरात्री को होम होता है | पूर्ण नवरात्री पाठ होता है और वर्षा भर अखण्ड जोत रहती है | ८. प्रतिदिन प्राप्त : श्री बड़माताजी को दूध का भोग लगता है पुष्ण, चंदन, केसर, कुंमकुंम, मौली से पूजा होती है| प्राप्त: और संध्या में श्री बड़माताजी की आरती होती है| ९. यात्रियों की सुविधा हेतु ठहरने के कमरे, गददा ( बिस्तर ) दरियां, बर्तन आदि उपलब्ध है | १०. यात्रियों के लिए स्नान, पूजन, भोजन आदि की व्यवस्था है| यात्री लापसी बनवाना चाहे तो मैनेजर से संपर्क कर भण्डार से कहकर ( रसीद लेकर ) बनवा सकते है| ११. यात्रियों के लिए नियमित भोजन शाला है| कायम मित्ती रु २५०१/- है| अत: जो बन्धु इसका लाभ लेना चाहें वह रु २५०१/- जमा कराकर के मैमेजर के रसीद प्राप्त करें| १२. श्री मन्दिर में कोई वस्तु बर्तन, बिस्तर, फर्निचर, पलंग कुर्सियां, आदि जो भी कारकर रसीद प्राप्त करें| १३. मुंडन संस्कार के रु १०१/- व जात के रु १०१/- मैनेजर के पास जमा कराकर रसीद प्राप्त करें | १४. श्री बड़माताजी के मन्दिर के बाहर श्री भेरूजी का मन्दिर है| वहां पार श्री भेरूजी के बाखला, सिन्दूर, मालीपन्ना,तेल, नारियल, व अगरबत्ती चढ़ाकर पूजा करें| १५. भेरूजी का प्रसाद घर पार लेकर नहीं जावें, वहीँ पर सभी को बांट देवें| १६. जिस किसी भाई- बहनों कें मस्से हो गये हों, तो श्री माताजी महाराज किबोलवा करें तथा ठीक ( अच्छा ) होते पर श्री माताजी महाराज के मन्दिर में कम से कम १ बुवारी ( झाड़ू ) चढावें| १७. इनका मन्दिर में प्रवेश वर्जित है १. मासिक धर्म एंव गर्भवती महिलाऐं, २.मांस - मंदिरा व अन्य नशा किये हुए, ३. काली वस्तु व चमडा पहने हुए|
प्रतिदिन कुलदेवी के आगे दीपक करके आरती करने का प्रयास करें |
नवरात्री में अखंड जोत व आरती करने का प्रयास करें |
प्रति वर्ष चैत्रसुदी ९ एवं आसोज सुदी १० को कुलदेवी दर्शन हेतु बड़माता ( मुंडवा ) दर्शन करने का प्रयास करें |
१. नये मकान या प्रतिष्टान में अगर श्री बड़वासन देवी के स्थान की स्थापना करनी हो तो यह सिर्फ असोज सुद एकम एवं चैत्र सुद एकम को ही अछे दुघडिये में ही होती है |
२. श्री बड़ामाताजी की फोटो के साथ दीवार पार माली पन्ना, कुंमकुंम या केसर का स्वस्तिक, त्रिशूल और चांद सूरज बनाना, तीन या पांच पत्ते की एक वट की डाली धोकर उस स्थान के कोने में रखना, लोटे में साबुत मुंग, चावल, सात साबुत बादाम और सवा रूपया रखकर उपर साबुत श्रीफल रखना, लाल वस्त्र से ढक कर मौली से बांधकर केसर, कुंमकुंम के पूजा करना |
३. दीप - धूप करके लापसी, प्रसाद,श्रीफल चढ़ाना |
४. माताजी की स्तुति करना |
५. फिर सदैव प्रात: और संध्या दीप - धूप करना |